सब कुछ बदल गया लेखनी प्रतियोगिता -06-Aug-2022
शीर्षक:- सब कुछ बदल गया
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ससुनयना शादी के बाद पहली बार घर जा रही थी। वह शादी के बाद अपने पति विनय के साथ मुम्बई चली गयी थी क्यौकि विनय मुम्बई मे जाब पर था। अतः वह उसको साथ लेगया था।
उसकी शादी को पांच महीने से अधिक होगया था। अब रक्षाबन्धन कख पर्व आरहा था इसी लिए सुनयना अपने भाईयौ को राखी बांधने मायके जारही थी।
जब वह मायके में अपने घर पहुँची तब सभीने उसका बहुत ही गर्म जोशी से स्वागत किया था। उसकी भाभी उससे मुस्कराकर मिली और पूछने लगी ," और सुन्नो मुम्बई जाकर तो हमें भूल ही गयी। कैसा रहा विनय का साथ ? कहीं विनय अधिक परेशान तो नही करता है। बैसे मैने विनय को तुम्हारी सभी कमजोरियाँ बता दी थी। "
" भाभी आप भी कैसी बात करती हो। इन सबके सामने ऐसी बातै करते हुए आप बिल्कुल शरमा भी नही रही। कोई इतनी दूर से आपसे मिलने आया है और आप उसको बैठने की भी नही कह रही हो। ", सुनयना बोली।
उसकी भाभी सुनयना के उसी रूम में लेकर गयी जो रूम शादी से पहले सुनयना का होता था। तब उस रूम में कोई भी आता जाता नहीं था। परन्तु आज वहाँ सब कुछ बदल चुका था। अब वह रूम उसके भतीजे का स्टडी रूम बन चुका था।
सुनयना सोचने लगी यह कैसी रीति है जो बेटी शादी पहले पूरे घर में कहीं भी आती जाती थी आज शादी के बाद वह घर पराया महसूस होरहा था। किसी भी बस्तु को बिना इजाजत छूने का भी जी नहीं कर रहा था। उसको ऐसा लग रहा था कि वह आज किसी नयी जगह आई है।
सुनयना को अपने बचपन की यादे ताजा होने लगी। जब उसने इस नयी दूनियां मे कदम रखा था तब उसके पापा ने बहुत खुशियां मनाई थी। पापा ने सभी का यह कहकर मुँह मीठा करवाया था कि हमारे घर लक्ष्मी आई है।
उसने अपने मम्मी पापा दादा दादी की उँगली पकड़कर इसी आँगन में चलना सीखा था। इसी घर में रहकर इतने बर्ष बिताये थे आज वहाँ की हर बस्तु पराई लग रही थी। बचपन में वह हर चीज लेने के लिए अपने भाई सी लड़ जाती थी। वह उस पर अपना अधिकार समझती थी।
जब उसकी दादी कहती थी कि सुन्नो तू इन भाईयौ के साथ क्यौ झगड़ती है यहाँ तेरा कुछ नही है तू पराये घर की अमानत है। एक दिन पराये घर तो जाना ही होगा।।
तब उसको दादी की बातै बहुत बुरी लगती थी वह कहती थी ये पराये घर जाना क्या होता है। यह घर भी तो मेरा ही है। मुझे यहाँ से कौन निकालेगा। परन्तु आज उसको महसूस हो रहा था कि बास्तव में ही यह घर उसका नही है।
सुनयना को गुजरा वक्त याद आरहा था। सुनयना सोचरही थी कि देखो किस तरह सब कुछ बदल गया है।
उसी समय उसकी भाभी बोली," कहाँ खोगयी सुन्नो क्या सोच रही है। शादी से पहले यह तुम्हारा कमरा होता था। अब इसपर जीतू ने अधिकार जमा लिया है। और सब सामान उसने अपने हिसाब से सैट कर लिया है।
सुनयना देख रही थी कि पूरे रूम की सैटिंग ही बदल चुकी है। उसका सामान मालूम नहीं कहाँ रखदिया है। उस सामान के साथ उसकी बचपन की यादै थी।
सुनयना मायके में जब तक रही वह यही सोचती रही कि बेटी की यही जिन्दगी होती है कि शादी से पहले वह पिता के घर को अपना समझने की भूल करती है औल फिर पति के घर को अपना समझती है जब कि असल वह भी उसका नहीं होता है।
आज की दैनिक प्रतियोगिता के लिए रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
06/08/२०२२
Kusam Sharma
14-Aug-2022 07:08 AM
Nice
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Punam verma
07-Aug-2022 09:35 PM
Very nice
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Abhinav ji
07-Aug-2022 09:27 AM
Very nice👍
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